अगर आप घर खरीदने का मन बना रहे हैं, लेकिन बिल्डरों द्वारा प्रोजेक्ट लेट किए जाने की आशंका से डरे हुए हैं तो आपके लिए राहत की खबर है. एक मई से बहुप्रतीक्षित रियल एस्टेट एक्ट(RERA) यानी रेरा लागू हो रहा है. बिल्डरों की मनमानी से निजात दिलाने और बॉयर्स को शोषण से बचाने का ये क्रांतिकारी कानून पिछले साल मार्च में संसद में पास हुआ था और सोमवार यानी एक मई से ये लागू हो गया है. कानून लागू होने के बाद बिल्डर किसी भी हालत में खरीददार से धोखाधड़ी नहीं कर सकेगा. नियम तोड़ने पर बिल्डर को तीन साल तक की जेल हो सकती है.
नए प्रावधानों के अनुसार सभी बिल्डरों को जुलाई आखिर तक पहले से चल रहे और नए आवासीय प्रोजेक्ट को रीयल एस्टेट अथॉरिटी में पंजीकरण कराना होगा. वहीं, हर प्रोजेक्ट का अथॉरिटी से सेक्शन प्लान और लेआउट प्लान अपनी वेबसाइट के साथ सभी कार्यालयों की साइट्स पर छह वर्ग फीट के बोर्ड पर लगाना होगा.
धांधली करने पर हो सकती है 3 साल की जेल
घर खरीदारों की सबसे बड़ी शिकायत यही रहती है कि उनसे जिन सुविधाओं की बात बिल्डर ने की थी वह नहीं मिली. प्रोजेक्ट का लेआउट व अन्य चीजें बीच में बिना उनकी सहमति से बदल दी जाती हैं लेकिन रेरा के तहत अगर बिल्डर प्रोजेक्ट के ब्रौशर और विज्ञापन में किए गए वादे पूरा नहीं करता तो उसे 3 से 5 साल तक की जेल हो सकती है. बिल्डर अगर कोई अन्य धांधली करता है जिससे पांच साल के भीतर उसपर कोई जुर्माना लगाया जाता है तो उसका वहन बिल्डर को ही करना होगा न कि खरीदारों को.
खरीदारों को होगा ये फायदा
रेरा से डेवलेपरों को बहुत फायदा होगा जैसे-डेवलेपरों के वो सभी प्रोजेक्ट जो अभी अंडर कंस्ट्रक्शन हैं या जिन्हें कंपलीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है या फिर जो नए प्रोजेक्ट लांच होने वाले हैं उन सबको तीन महीने के अंदर नियामक प्राधिकरण में रजिस्टर्ड कराना होगा. राज्यों के लिए ये जरूरी है कि वे इसके तहत प्राधिकरण गठित करें. सभी रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट का पूर्ण विवरण प्राधिकरण के पास होगा, जिसमें प्रमोटर, परियोजना, ले-आउट, योजना, भूमि की स्थिति, समझौते, रियल एस्टेट एजेंट, ठेकेदार, इंजीनियरों आदि के बारे में विस्तृत जानकारी होगी. प्रोजेक्ट कब पूरा होगा इसकी तारीख भी देनी होगी.
13 राज्यों में रेरा को हरी झंडी
रेरा की सभी 92 धाराएं एक मई से प्रभावी हो जाएंगी. हालांकि केवल 13 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने ही अबतक इसके नियम अधिसूचित किए हैं. इनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, चंडीगढ़, दादर और नागर हवेली, दमनदीव, लक्षद्वीप आदि ने नियम अधिसूचित किए हैं.
रेरा की सभी 92 धाराएं एक मई से प्रभावी हो जाएंगी. हालांकि केवल 13 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने ही अबतक इसके नियम अधिसूचित किए हैं. इनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, चंडीगढ़, दादर और नागर हवेली, दमनदीव, लक्षद्वीप आदि ने नियम अधिसूचित किए हैं.
भारत का रियल एस्टेट मार्केट
भारत में रियल एस्टेट कारोबार की बात करें तो देश में 76 हजार रियल एस्टेट कंपनियां हैं. हर साल 10 लाख लोग मकान खरीदते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, 2011-15 में हर साल 2,349 से 4,488 प्रॉजेक्ट लॉन्च हुए और 2011-15 में 13.70 लाख करोड़ का निवेश हुआ. वहीं, 2011-15 में 27 शहरों में 17,526 प्रॉजेक्ट लॉन्च किए गए.
एक्ट की खास बातें:
– तीन महीने के भीतर नए और पुराने का अथारिटी में पंजीकरण होगा.
– तीन महीने के भीतर नए और पुराने का अथारिटी में पंजीकरण होगा.
– तयशुदा नियमों के अनुसार प्रोजेक्ट पर होगा काम, खरीददार और बिल्डर के बीच गलतफहमी नहीं होगी.
– नया प्रोजेक्ट शुरू करते वक्त खरीददारों से इकट्ठा की गई राशि का 70 फीसदी अलग बैंक अकाउंट में रखना होगा. वहीं, पुराने प्रोजेक्ट की बची राशि के 70 फीसदी का कोष बनेगा.
– पांच साल तक फ्लैट के रख-रखाव का जिम्मा डेवलपर के पास होगा.
– रेगुलरिटी अथॉरिटी या अपीलीय प्राधिकरण को आदेश का उल्लंघन करने पर डेवलपर को तीन साल और एजेंट या खरीददार को एक साल जेल की सजा हो सकती है.
– बिल्डर व खरीददार की ब्याज दर एबीआई के सीमांत लागत पर देय होगी. किसी भी हालत में देरी होने पर 2 फीसदी अतिरिक्त देना होगा.
http://harshviharvilla.blogspot.in/
No comments:
Post a Comment